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13:49, 5 फ़रवरी 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रवीन्द्र प्रभात
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<poem>
अपनी दीवानगी को गंवाना फ़िज़ूल ,
जुगनुओं रोशनी में नहाना फिजूल ।
किस्त में खुदकुशी इश्क का है चलन ,
इश्क दरिया है पर डूब जाना फ़िज़ूल ।
चांदनी रात में चांद के सामने यूँ -
आपका इसकदर रूठ जाना फ़िज़ूल ।
शर्त है प्यार में प्यार की बात हो ,
प्यार को बेवजह आजमाना फ़िज़ूल ।
लफ्ज़ को बिन तटोले हुये ये'प्रभात'
बज़्म में कोई भी गीत गाना फ़िज़ूल ।
<poem>