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शब्द-शब्द अनमोल परिंदे,
सुन्दर बोली बोल परिंदे !
जीवन-जीवन भूलभुलैया
दुनिया गोलम-गोल परिंदे!
जीवन -जीवन भूलभुलैया -छोटा मुँह मत बात बड़ी कर दुनिया गोलम- गोल खुल जाएगी पोल परिंदे !
शीशे के घर में रहकर ना
पत्थर-पत्थर तोल परिंदे!
छोटा मुँह बन्दर के हाथों में मत बात बड़ी कर -दे खुल जायेगी पोल झाल-मजीरा-ढोल परिंदे !
कुछ मन की मर्यादा रख ले
आँखों को मत घोल परिंदे!
शीशे के घर में रहकर ना -पत्थर -पत्थर तोल परिंदे ! बन्दर के हाथों में मत दे -झाल -मजीरा -ढोल परिंदे ! कुछ मन की मर्यादा रख ले -आंखों को मत घोल परिंदे ! कुछ "'प्रभात " ' के जैसा रच दे -अंतर -पट अब खोल परिंदे !
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