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उम्र भर जिस आईने की जुस्तजू करते रहे / गोविन्द गुलशन
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उम्र भर जिस आईने की जुस्तजू करते रहे
वो मिला तो हम नज़र से गुफ़्तगू करते रहे
अनिल जनविजय
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