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अक्वेरियम में / पद्म क्षेत्री

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अक्वेरियम में
सपनों की रंग-विरंगी मछलियाँ
तैरती हैं
सारी रात
और प्रात:
घुटता है दम
मछलियों का
औक्सीजन- रहित पानी में .

सचमुच
सपनों की मछलियाँ
सोख लेती हैं
सारा औक्सीजन
और बना देती है विषाक्त
मेरी आँखों के अक्वेरियम का पानी !

फिर प्रात:
उंड़ेलकर सारा बासी पानी
भर लेता हूँ मैं अक्वेरियम
उर:स्थल की नादिका के
अभिमंत्रित जल से !

'''मूल नेपाली से अनुवाद: स्वयं कवि द्वारा''' <Poem>