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09:11, 10 फ़रवरी 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२
|संग्रह=जब भी वसन्त के फूल खिलेंगे / आलोक श्रीवास्तव-२
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
तुम्हारी याद के साथ
वसंत याद आये
टहनियों पर बिखरती चांदनी
सूर्यास्त के रंग
और झरनों का निनाद याद आये
कामना जगाता
तुम्हारी देह का वैभव ही नहीं
उल्लास से भरी
तुम्हारी हंसी याद आये
तुम्हारी याद के साथ
शिकवा नहीं
एक उम्र के अनुभव हों !
</poem>