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सुखा दिया इसने सारा अपने मन का पानी
खरे दाम में बेचा करता अपनी बेईमानी
::::ताले में जो बन्द पड़ा है:::::धन है सारा काला
रोटी देकर ख़ून चूसना इसका दया-धरम है
परदेशों को देश बेचने में भी नहीं शरम है
::::रहा सदा भारी पलड़े में:::::ये सरकारी साला
कोर्ट-कचहरी अस्पताल या जितने भी दफ़्तर हैं
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