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उठ के कपड़े बदल / निदा फ़ाज़ली
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04:12, 14 फ़रवरी 2010
कर के हर राहगुज़र
थक चुके जानवर
लड़कियों
लकड़ियों
की तरह
फिर से चूल्हे में जल
जो हुआ सो हुआ॥
Sandeep Sethi
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