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दर्द बस्ती का / विनोद तिवारी
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*[[कामुकों का गाँव बेवा का शबाब / विनोद तिवारी]]
*[[छा गए हैं आज फिर बादल घने / विनोद तिवारी]]
*[[ज़मीन पाँव तले
आसनमान
आसमान
सर पर है / विनोद तिवारी]]
*[[काम सब ठप है कारख़ानों में / विनोद तिवारी]]
*[[हर दिशा में घने कुहासे हैं / विनोद तिवारी]]
द्विजेन्द्र द्विज
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