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अनुराग / त्रिलोचन

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|संग्रह=चैती / त्रिलोचन
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{{KKCatKavita}}<poem>
अतिथि से सब का समभाव है;
 
जब उषा उतरी तब भूमि का
 
हुलसना, खिलना, किस से छिपा,
 पकड़ है जिसमें अनुराग है.</poem>
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