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वसंत / त्रिलोचन
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|संग्रह=चैती / त्रिलोचन
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नव वसंत खिला जब भाग्य सा,
भुवन में तब जीवन आ गया,
गगन ने उस को अपनाव से,
अतुल गौरव से, अपना किया
.
।
</poem>
अनिल जनविजय
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