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दुखों की छाया / त्रिलोचन
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|संग्रह=चैती / त्रिलोचन
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दुखों की छाया में यह भव बसा है, नियति की
सदिच्छा होगी तो कुछ दिन कटेंगे, समय के
सधे आयामों में
.
।
भ्रम भ्रम रहेगा कि सच का कभी पल्ला लेगा; श्वसन ठहरेगा विजन में
.
।
</poem>
अनिल जनविजय
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