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उन से नैन मिलाकर देखो / मुनीर नियाज़ी
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21:51, 24 फ़रवरी 2010
ये धोखा भी खा कर देखो|
दूरी में क्या भेद
<ref>राज़</ref>
छिपा है,
इसकी खोज लगाकर देखो|
[भेद=राज़]
किसी अकेली शाम की चुप में,
जाग-जाग कर उम्र कटी है,
नींद के द्वार
<ref>दरवाजा</ref>
हिलाकर देखो|
[द्वार=दरवाज़ा]
</poem>
{{KKMeaning}}
Sandeep Sethi
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