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दहर में नक़्शे-वफ़ा / ग़ालिब
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01:05, 27 फ़रवरी 2010
हूँ तेरे वादा न करने में भी राज़ी कि कभी
गोश<ref>
काल
</ref> मिन्नत-
कश-ए
कशे
-गुलबांग-ए-तसल्ली<ref>सांत्वना की मधुर ध्वनि</ref> न हुआ
किससे महरूमिए-क़िस्मत<ref>दुर्भाग्य</ref> की शिकायत कीजे
Sandeep Sethi
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