Changes

नींद में भी / सनन्त तांती

96 bytes added, 16:48, 28 फ़रवरी 2010
नींद में भी कभी गुलाब खिलते हैं आँखों में।
प्रेम रहता है मेरे जागरण तक।
 
'''मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,720
edits