Changes

रामकहानी / संध्या पेडणेकर

12 bytes added, 14:53, 1 मार्च 2010
<poem>
इसकी, उसकी, तेरी, मेरी
सबकी एक -सी राम कहानी
आओ कुछ नया करें
खुद ख़ुद अपने निर्णय लें और खुद ख़ुद अपनी राहें ढूंढें ढूँढें
हीरों को कराएं कराएँ छुटपन से
राह की पहचान
नैनों को दे सामनेवाले को
चीर कर आर -पार देखने की ताकत ताक़त
दो गिलास दूध मुन्ने को
तो दो गिलास दूध मुन्नी को भी
नया बस्ता राजू को
तो नया बस्ता रानी को भी
नयी रहे टटोलने की आजादी आज़ादी
दोनों को दें
दोनों की आँखों के सपनों को
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,667
edits