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मैं उन्हें छेड़ूँ और वो / ग़ालिब
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,
02:51, 3 मार्च 2010
चल निकलते जो मय पिये होते<br><br>
क़हर हो या बला हो
,
जो कुछ हो <br>काश
के
कि
तुम मेरे लिये होते <br><br>
मेरी क़िस्मत में ग़म गर इतना था <br>
Sandeep Sethi
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