गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
तब भी / नीलेश रघुवंशी
30 bytes added
,
07:30, 3 मार्च 2010
|संग्रह=घर-निकासी / नीलेश रघुवंशी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
तुम
गए भी तो आंधी की तरह
मैं
बची रही लौ की तरह तब भी।
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits