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घास / पाश
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Poem
poem
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मैं घास हूँ
मैं आपके हर किए-धरे पर उग आऊंगा
मैं घास हूँ, मैं अपना काम करूंगा
मैं आपके हर किए-धरे पर उग आऊंगा।
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अनिल जनविजय
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