1,119 bytes added,
14:57, 18 मार्च 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= तुफ़ैल चतुर्वेदी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>ग़ज़ल का सिलसिला था याद होगा
वो जो इक ख़्वाब-सा था याद होगा
बहारें-ही-बहारें नाचती थीं
हमारा भी खुदा था याद होगा
समन्दर के किनारे सीपियों से
किसी ने दिल लिखा था याद होगा
लबों पर चुप-सी रहती है हमेशा
कोई वादा हुआ था, याद होगा
तुम्हारे भूलने को याद करके
कोई रोता रहा था याद होगा
बगल में थे हमारे घर तो लेकिन
ग़ज़ब का फ़ासला था याद होगा
हमारा हाल तो सब जानते हैं
हमारा हाल क्या था याद होगा
<poem>