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{{KKGlobal}}{{KKFilmSongCategories|वर्ग=देश भक्ति गीत}}{{KKFilmRachna|रचनाकार= बिस्मिल अज़ीमाबादी (राम प्रसाद बिस्मिल)}}<poem>सरफरोशी सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,देखना है जोर ज़ोर कितना बाजुए कातिल बाज़ू-ए-क़ातिल में है ...
(ऐ वतन,) करता नहीं क्यों दुसरा क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल महफ़िल में हैऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में हैसरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ...
रहबर राहे मौहब्बत रह न जाना राह वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान, हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल मेंहैलज्जतखेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उम्मीद, आशिकों का आज जमघट कूचा--सेहरा नवर्दी दूरिये-मंजिल क़ातिल में हैसरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ...
यों खड़ा मौकतल में कातिल कह रहा है बार-बारलिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर, और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधरक्या ख़ून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्क़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के अब हमारे दिल में है ...
ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसारहाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार सेअब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है, सरफ़रोशी की महफिल तमन्ना अब हमारे दिल में है ...
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां,हम अभी तो घर से क्या बतायें क्या ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न, जां हथेली पर लिए लो बढ़ चले हैं ये कदमज़िंदगी तो अपनी मेहमां मौत की महफ़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ...
खींच कर लाई यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है सब को कत्ल होने की उम्मींदबार-बार,आशिकों का जमघट आज कूंचेक्या तमन्ना--कातिल शहादत भी किसी के दिल में है ?दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब, होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आजसरफरोशी दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ।...
वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून, क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है...
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