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शेख़ जी अपनी सी बकते ही रहे / अकबर इलाहाबादी
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01:11, 26 मार्च 2010
सरकशों ने ताअते-हक़ छोड़ दी
अह्ले
अहले
-सजदा सर पटकते ही रहे
जो गुबारे थे वह आख़िर गिर गए
जो सितारे थे चमकते ही रहे
</poem>
Sandeep Sethi
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