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|रचनाकार=ग़ालिब|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>पए-नज़्रे-करम<ref>खुदा के लिए भेंटदयालुता की तरह</ref> तोहफ़ा है शर्मे-ना-रसाई<ref>पास ना अयोग्यता पहुंचने की लज्जा</ref> का
ब-ख़ूं-ग़ल्तीदा-ए-सद-रंग<ref>सौ तरह खून में लिथड़ा हुआ</ref> दावा पारसाई<ref>पवित्रता</ref> का
न हो हुस्ने-तमाशा दोस्त रुस्वा बे-वफ़ाई का
बमुहरे-सद-नज़र <ref>सैंकड़ों नजरों की मुहर</ref> साबित है दावा पारसाई का
ज़काते-हुस्न<ref>सौंदर्य दान</ref> दे ऐ जल्वा-ए-बीनिश<ref>आँखों की ज्योति</ref> कि मेहर-आसा<ref>सूर्य की तरह</ref>
चिराग़े-ख़ाना-ए-दरवेश<ref>भिखारी के घर का चिराग</ref> हो कासा-गदाई<ref>भिक्षा-पात्र</ref> का
न मारा जानकर बेजुर्म क़ातिल ग़ाफ़िल<ref>बे-परवाह</ref>, तेरी गरदन पर रहा मानिन्दे<ref>की तरह, जैसे</ref>-ख़ूने-बे-गुनाह हक़ आशनाई <ref>दोस्ती</ref> का
तमन्ना-ए-ज़बां<ref>बोलने की तमन्ना</ref> महवे-सिपासे-बे-ज़बानी<ref>मौन का प्रशंसा में लीन</ref> है
दहाने-हर-बुते-पैग़ारा-जू<ref>हर लड़ाकू प्रेयसी का मुँह</ref> ज़ंजीरे-रुसवाई
अ़दम<ref>परलोक</ref> तक बे-वफ़ा ! चर्चा है तेरी बे-वफ़ाई का
न दे नामेनाले<ref>ख़तरुदन</ref> को इतना तूल 'ग़ालिब' मुख़्तसर <ref>संक्षेप में</ref> लिख दे कि हसरते-संज<ref>इच्छुक</ref> हूं अर्ज़े-सितम-हाए-जुदाई<ref>वियोग की रात्रि कठोरता की शिकायत</ref> का
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