Changes

{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ग़ालिब|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
गर न अन्दोहे<ref>क्षोभ</ref>-शबे-फ़ुरक़त<ref>जुदाई की रात</ref> बयां हो जाएगा
बे-तकल्लुफ़ , दाग़-ए-मह<ref>चांद का दाग</ref> मुहर-ए-दहां<ref>मुंह पर मुहर</ref> हो जाएगा
ज़हरा<ref>पित्ता</ref> गर ऐसा ही शाम-ए-हिज़र<ref>विरह की शाम</ref> में होता है आब<ref>पानी</ref>
पर्तव-ए-माहताब<ref>चांदनीकी किरन</ref> सैल-ए-ख़ान-मां<ref>घर की बाढ़</ref> हो जाएगा
ले तो लूं सोते में , उस के पांव का बोसा<ref>चुंबन</ref>, मगर ऐसी बातों से वह काफ़िर बद-गुमां<ref>नाराज़असंतुष्ट</ref> हो जाएगा
दिल को हम सरफ़-ए-वफ़ा<ref>प्रेम के लिए अर्पित</ref> समझे थे क्या मालूम था
हर गुल-ए-तर<ref>फूल</ref> एक चश्म-ए-ख़ूं-फ़िशां<ref>खून के आँसू बरसाती हुई आँख</ref> हो जाएगा
वाए <ref>हाय</ref>, गर मेरा-तेरा इंसाफ़ महशर<ref>महफिलकयामत के दिन</ref> में न हो अब तलक तो , यह तवक़्क़ो<ref>उम्मीद</ref> है कि वां हो जाएगा
फ़ायदा क्या ! सोच, आख़िर तू भी दाना<ref>समझदार</ref> है 'असद '
दोस्ती नादां<ref>बे-समझ</ref> की है, जी का ज़ियां<ref>नुकसान</ref> हो जाएगा
</poem>
{{KKMeaning}}
Delete, Mover, Uploader
894
edits