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अभी और तेज़ कर ले सर-ए-ख़न्जर-ए-अदा को / अली सरदार जाफ़री
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01:21, 28 मार्च 2010
जो दुआयें दे रही है तेरी चश्म-ए-बेवफ़ा को
कहीं रह गई है शायद
ते
रे
तेरे
दिल की धड़कनों में
कभी सुन सके तो सुन ले मेरी ख़ूँशिदा नवा को
Sandeep Sethi
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