{{KKCatNazm}}
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तुम न आये थे तो हर चीज़ वही थी के कि जो हैआसमाँ आसमां हद-ए-नज़र, राह-गुज़र राह-गुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय
और अब शीशा-ए-मय, राह-गुज़र, रंग-ए-फ़लक
रंग है दिल का मेरे "ख़ून-ए-जिगर होने तक"
ज़हर का रंग, लहू-रंग, शब-ए-तार का रंग
आसमाँआसमां, राह-गुज़र, शीशा-ए-मय
कोई भीगा हुआ दामन, कोई दुखती हुई रग
कोई हर लहज़ा बदलता हुआ आईना है
फिर से एक बार हर एक चीज़ वही हो जो है
आसमाँ आसमां हद-ए-नज़र, राह-गुज़र राह-गुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय</poem>