[[Category:ग़ज़ल]]
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हमारे दिल की मत पूछो बड़ी मुश्किल में रहता हैहमारी जान का दुश्मन हमारे दिल में रहता हैग़ज़ल
सुकूँ मिलता है हमको बस तुम्हारे शहर हमारे दिल की मत पूछो, बड़ी मुशकिल में आकररहता हैयहीं वो नूर-सा चेहरा कहीं महमिल हमारी जान का का दुशमन हमारे दिल में रहता है
कोई शायर शाइर बताता है , कोई कहता है पागल भी दीवानामेरा चर्चा हमेशा आपकी महफ़िल महफिल में रहता है.
कभी मंदिर, कभी मस्जिद, कभी सहरा, कभी परबतउसी को खोजते हैं सब जो सबके दिल में रहता है वो मालिक है सब उसका है ,वो हर ज़र्रे में मे है ग़ाफ़िल !शामिलवही वो दाता में मिलता को भी देता है वही वो खुद साइल में रहता है. "ख़याल" उससे शिकायत कर जो हल कर दे तेरी मुशकिलकरेगा हल वो क्या मुशकिल जो खुद मुशकिल में रहता है
वो चुटकी में ही करता है तुम्हारी मुश्किलें आसाँ
ख़ुदा को चाहने वाला कभी मुश्किल में रहता है !
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