|रचनाकार=जावेद अख़्तर
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[[Category:ग़ज़ल]]<poem>तमन्ना फिर मचल जाए , अगर तुम मिलने आ जाओ।जाओयह मौसम ही बदल जाए , अगर तुम मिलने आ जाओ।जाओ
मुझे गम है कि मैने जिन्दगी में कुछ नहीं पाया
ये गम ग़म दिल से निकल जाए , अगर तुम मिलने आ जाओ।जाओ
नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे
ज़माना मुझसे जल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
ज़माना मुझसे जल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ। ये दुनिया भर के झगड़े , घर के किस्से , काम की बातें बला हर एक टल जाए , अगर तुम मिलने आ जाओ।जाओ</poem>