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[[Category:ग़ज़ल]]
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दिल लगाने की भूल थे पहले
 
अब जो पत्थर हैं फूल थे पहले
 
तुझसे मिलकर हुए हैं पुरमानी
 
चांद-तारे फुजूल थे पहले
 
अन्नदाता हैं अब गुलाबों के
 
जितने सूखे बबूल थे पहले
 लोक लोग गिरते नहीं थे नज़रों से 
इश्क के कुछ उसूल थे पहले
 
झूठे इल्ज़ाम मान लेते थे
 
हाय! कैसे रसूल थे पहले
 
जिनके नामों पे आज रस्ते हैं
 
वे ही रस्तों की धूल थे पहले
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