[[8. समयातीत पूर्ण]]{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=कुमार सुरेश}}{{KKCatKavita}}<poem>हे महाबाहु !
तुम पूर्ण आदि अक्षर
तुम सृष्टि का आरम्भ और धारणकर्ता
तुम प्रति क्षण जीवन की आहट
हजारों हज़ारों सूर्यों के समान
प्रल्याग्नि सम
तुम्हारे दैदीप्यमान मुख में
तुम्ही सृष्टि का जन्म और विलय हो
तुम्ही सर्वभक्षी मृत्यु हो ?
आदि स्रष्टा !</poem>