तो भर जाएगी नदी
अपनी दादी की तरह
दादी बूढ़ी है, कमज़ोर है तो क्या
दादी तो है
नहीं खोलती, गुस्सा होती है
फिर वही खोल देती है दरवाजा
उसके अनुभव गढ़े शब्द हमें जगाते हैं
दादी है तो यह सब है
आँखों की नींद और खुशी के सपने हैं
हमारे लिये
नदी सूख भी जाएगी तो नदी होगी
चिड़िया जाएगी उसके पास