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उसके बारे में / धूमिल

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पता नहीं कितनी रिक्तता थी-
 
जो भी मुझमे होकर गुजरा -रीत गया
 
पता नहीं कितना अन्धकार था मुझमे
 
मैं सारी उम्र चमकने की कोशिश में
 
बीत गया .
 
भलमनसाहत
 
और मानसून के बिच खड़ा मैं
 
ऑक्सीजन का कर्ज़दार हूँ
 
मैं अपनी व्यवस्थाओं में
 
बीमार हू
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