तब नहीं जानती थी मैं
अर्थ--रानी पानी के घुटनों तक आने का
पर पानी घुटनों तक आया
भैया देर रात तक पढ़ाई करने लगे
जब-जब मैं
भाभी से लड़ी
भैया से दूर दूरी बढ़ी,
वह कम बोलते
मैं कम बतियाती
गिरकर टूट गया है
सपने में अक्सर
मैं अपनी चप्पल नहीं ढूंढ पाती
फिर भी/कंधों पर उगे पंख फैला
खुल जाये आंख तब लगता है
मैं भी हूं-- जल की मछली
फिर भी हूं----जल की मछली
फिर भी हूं----नगरपालिका नल की मछली
अभी-अभी आयेगा पानी
भरूंगी बाल्टियां/मलूंगी बर्तन
डरूंगी भाभी के माथे के बल से
चमकाऊंगी चुमकारूंगी भतीजे को
बुहारूंगी उसका मैला
धोऊंगी फर्श
खाऊंगी झिड़कियां
खिलाऊंगी गुड्डू की को गोद में
और गाऊंगी :
'हरा समुन्दर