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[[भारतमाता / सुमित्रानंदन पंत]] को अनुप्रेषित
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=#REDIRECT [[भारतमाता / सुमित्रानंदन पंत |संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<poem>खेतों में फैला है श्यामलधूल भरा मैला-सा आँचलगंगा जमुना में आंसू जलमिट्टी कि प्रतिमा उदासिनी, भारतमाता ग्रामवासिनी दैन्य जड़ित अपलक नत चितवनअधरों में चिर नीरव रोदनयुग-युग के तम से विषण्ण मनवह अपने घर में प्रवासिनी, भारतमाता ग्रामवासिनी तीस कोटी संतान नग्न तनअर्द्ध-क्षुभित, शोषित निरस्त्र जनमूढ़, असभ्य, अशिक्षित, निर्धननतमस्तक तरुतल निवासिनी, भारतमाता ग्रामवासिनी स्वर्ण शस्य पर पद-तल-लुंठितधरती-सा सहिष्णु मन कुंठितक्रन्दन कम्पित अधर मौन स्मितराहु ग्रसित शरदिंदु हासिनी, भारतमाता ग्रामवासिनी चिंतित भृकुटी क्षितिज तिमिरान्कितनमित नयन नभ वाष्पाच्छादितआनन श्री छाया शशि उपमितज्ञानमूढ़ गीता-प्रकाशिनी, भारतमाता ग्रामवासिनी सफ़ल आज उसका तप संयमपिला अहिंसा स्तन्य सुधोपमहरती जन-मन भय, भव तन भ्रमजग जननी जीवन विकासिनी, भारतमाता ग्रामवासिनी</poem>]]
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