अभी इतना मुलायम है
कि पूरी धरती
थूक के फुग्गे में उतारे है.है।
अभी सारे मकान
कागज की तरह हल्के
हवा में हिलते हैं.हैं।
आकाश अभी विरल है दूर
उसके बालों को
दूर-दूरान्तरों से
उत्सुक काफिले
धूप में चमकते हुए आऍंगे.आएँगे।
सुंदरता!
जन्म चाहिए
हर चीज को एक और
जन्म चाहिए.चाहिए।</poem>