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माँग रहा लेकर कटोरा / जीवन शुक्ल
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04:35, 4 मई 2010
दूषित समाज का गहन लगा छोरा।
असमय में कबीर के गीतों का साथ
पोंछ रहा कमलों से शबनम का माथ
माँग रहा कण कण में दुर्दिन का ईश
दाता की खैर कुशल सस्ती आशीष
माटी की गोद भली
संयम का बोरा
माँग रहा लेकर कटोरा
नियति के नवासे का नया नया छोरा ।।
</poem>
डा० जगदीश व्योम
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