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|संग्रह=माँ की मीठी आवाज़ / अनातोली परपरा
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[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
"मर रहे हैं हम सब"--
 यह कहा तूने कुछ ऎसेऐसे
कर रही हो मुझ से तू यह अनुरोध जैसे
 
स्वर्ग तुझे जाने दूँ
 
मैं अपने से पहले
 
और कह रही हो मुझ से
 
तू इस नरक में ही रह ले
</poem>
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