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<poem>
:झर गई कली, झर गई कली!
 
चल-सरित-पुलिन पर वह विकसी,
उर के सौरभ से सहज-बसी,
सरला प्रातः ही तो विहँसी,
:रे कूद सलिल में गई चली!
आई लहरी चुम्बन करने,
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