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ठाकुर जी / महादेवी वर्मा

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लेखिका: [[महादेवी वर्मा]]
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:महादेवी वर्मा]]
 
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== '''ठाकुर जी'''
ठंडे पानी से नहलातीं,
माँ के ठाकुर जी भोले हैं।
 
-प्रथम आयाम == ==
 
''यह तुकबंदी उस समय की है जब महादेवी जी की अवस्था छः वर्ष का थी।जब महादेवी जी पाँच वर्ष से भी कम की थीं तभी पिता जी राजकुमारों के कालेज इन्दौर के वाइस प्रिंसिपल नियुक्त हो गए और उन्हें सर्वथा भिन्न वातावरण मिल गया।घर माँ की लोरी-प्रभाती में मुखरित, धूप-धूम से सुवासित, आरती से आलोकित रहता था और बाहर बया के घोंसलों से सज्जित पेड-पौधे, झाडियाँ।संगी के लिए निक्की नेवला और रोजी नाम की कुत्ता और अबोधपन की जिज्ञासाओं के समाधान के लिए सेवक-गुरु ‘रामा’ रहते थे।माँ शीतकाल में भी पाँच बजे सवेरे ठंडे पानी से स्वयं स्नान कर और उन्हें भी नहलाकर पूजा के लिए बैठ जाती थीं। उन्हें कष्ठ कष्ट होता था और उनकी बाल बुद्धि ने अनुमान लगा लिया था कि उनके बेचारे ठाकुर जी को भी कष्ठ कष्ट होता होगा। वे सोचती थीं कि यदि ठाकुर जी कुछ बोले तो हम दोनों के कष्ठ कष्ट होता होगा। वे सोचती थीं कि यदि ठाकुर जी कुछ बोलें तो हम दोनों के कष्ठ कष्ट दूर हो जावें, पर वे कुछ बोलते ही नही थे।''