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07:20, 26 मई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
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जगत-घट, तुझको दूँ यदि फोड़
प्रलय हो जाएगा तत्काल,
मगर सुमदिर, सुंदरि, सुकुमारि,
तुम्हारा आता मुझको ख्याल;
:::न तुम होती, तो मानो ठीक,
:::मिटा देता मैं अपनी प्यास,
:::वासना है मेरी विकराल,
:::अधिक पर, अपने पर विश्वास!