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तुम्हारा रक्तिम मुख अभिराम / सुमित्रानंदन पंत
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12:17, 26 मई 2010
:मात्र उर की अभिलाष!
तुम्हारे पद रज कण में, नाथ,
:
भरा शत सूर्य प्रकाश!
</poem>
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