लेखक: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र]]|संग्रह=}}[[Category:भवानीप्रसाद मिश्रकविताएँ]]
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*<poem>दरिंदाआदमी की आवाज़ मेंबोला
दरिंदा<br>आदमी की आवाज़ स्वागत में<br>मैंनेअपना दरवाज़ाबोला<br><br>खोला
स्वागत में मैंने<br>अपना और दरवाज़ा<br>खोला<br><br>खोलते ही समझाकि देर हो गई
और दरवाज़ा<br>खोलते ही समझा<br>कि देर हो गई<br><br> मानवता<br>थोडी थोड़ी बहुत जितनी भी थी<br>ढेर हो गई !<br><br/Poem>