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जीवन फिर-से भी यदि पाऊँ / गुलाब खंडेलवाल
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16:56, 28 मई 2010
कहाँ ढूँढने जाऊँ
वह सम्मान मिला,यश छाया
धन्य हो गयी मानव-काया
जो परिवार, प्रिया-सुख पाया
Vibhajhalani
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