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पानी और धूप / सुभद्राकुमारी चौहान
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03:05, 29 मई 2010
अभी अभी थी धूप, बरसने
लगा कहाँ से यह पानी
किसने
फोर
फोड़
घड़े बादल के
की है इतनी शैतानी।
Aditi kailash
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