सहसा भूली याद तुम्हारी उर में आग लगा जाती है
विरहातप भी मधुर मिलन के सोये मेघ जगा जाती है,
मुझको आग और पानी मी में रहने का अभ्यास बहुत है
जानें क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है |
अगणित शलभों के दल के दल एक ज्योति पर जल जल मरते
एक बूंद की अभिलाषा मी में कोटि कोटि चातक तप करते,
शशि के पास सुधा थोड़ी है पर चकोर की प्यास बहुत है
जानें क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है |
जानें क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है |
ओ ! जीवन के थके पखेरू, बड़े बढे चलो हिम्मत मत हारो,
पंखों में भविष्य बंदी है मत अतीत की ओर निहारो,
क्या चिंता धरती यदि छूटी उड़ने को आकाश बहुत है
जानें क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है |
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