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दरिंदा / भवानीप्रसाद मिश्र
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01:34, 8 सितम्बर 2006
मानवता<br>
थोडी
थोड़ी
बहुत जितनी भी थी<br>
ढेर हो गई !<br><br>
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घनश्याम चन्द्र गुप्त