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आह्वान / सुमित्रानंदन पंत
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<poem>
:बरसो हे घन!
आशा का प्लावन बन बरसो
नव सौन्दर्य
पंग
रंग
बन बरसो
प्राणों में प्रतीति बन हरसो
अमर चेतना बन नूतन
:बरसो हे घन!
</poem>
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