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गायक / अलेक्सान्दर पूश्किन
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10:16, 5 जून 2010
बुझी हुई आँखों में उसकी अब ख़त्म हो चुकी आस
साँस भरी दुख से क्या कभी तुमने ?
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
</poem>
अनिल जनविजय
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