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बराबर चल रहे हो और फिर भी घर नहीं आता / द्विजेन्द्र 'द्विज'
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03:57, 6 जून 2010
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|रचनाकार=द्विजेन्द्र 'द्विज'
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अगर भटकाव लेकर राह में रहबर नहीं आता,
द्विजेन्द्र द्विज
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