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मेरी कविता / मुकेश मानस
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09:13, 6 जून 2010
ऐसी हो मेरी कविता
जो इस बुरे वक्त की
तकलीफ़
तकलीफ़ें
बांट सके
गहराते अंधकार को
जितना हो छांट सके
Mukeshmanas
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