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हाइकु / कमलेश भट्ट 'कमल'
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13:45, 9 जून 2010
एक ही रीत ।
आप से मिले तो लगा क्या मिलना किसी और से
।
ढ़ूंढता रहा खुद को दिन रात ढूंढ नहीं पाया
छोटा करे दे रातों की लम्बाई भी गहरी नीन्द
डा० जगदीश व्योम
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